अगले महीने से आपका बिजली बिल बढ़ सकता है या फिर आपको ज्यादा कटौती का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, बिजली उत्पादक कंपनियों ने इसका वितरण करने वाली कंपनियों से अग्रिम भुगतान करने का निर्देश दिया है और इसका सीधा असर ग्राहकों पर भी पड़ सकता है।
केंद्र सरकार ने सभी विद्युत वितरण कंपनियों से कहा है कि वे भुगतान की गारंटी के तौर पर लेटर ऑफ क्रेडिट बनाए रखें ताकि बिजली पैदा करने वाली कंपनियों को भुगतान में दिक्कत न हो। यह नियम एक अगस्त से लागू होना है। यह फैसला इस वजह से लिया गया है क्योंकि वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का बकाया बढ़ता ही जा रहा है और इससे बिजली उत्पादक कंपनियां परेशान हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली उत्पादक कंपनियों को भी कोयला आपूर्ति के लिए कोल इंडिया को अग्रिम भुगतान करना पड़ रहा है। डिस्कॉम लगातार चार-पांच माह पैसे दिए बिजली खरीदते रहते हैं। ऐसे में अगर डिस्कॉम भुगतान नहीं करते हैं तो उत्पादक कंपनियां लेटर ऑफ क्रेडिट को भुना सकती हैं या आपूर्ति बंद कर सकती हैं।
यूपी, तमिलनाडु जैसे राज्यों पर असर दिखेगा : रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि डिस्कॉम के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट देना मुश्किल होगा। वित्तीय हालत सुधारने के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव उनकी मजबूरी होगी। ऐसे में उन पर 400-500 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ आएगा। खासकर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों में हालत खराब होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वितरक कंपनियां बैंक से ब्याज भी लेती हैं तो वित्तीय हालत और खराब हो जाएगी उसका बोझ भी अंतत: ग्राहकों पर ही पड़ेगा।