सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई का बुधवार को आखिरी दिन है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई स्पष्ट कर चुके हैं कि बुधवार को मामले की सुनवाई का 40वां और आखिरी दिन है। आज एक घंटा मुस्लिम पक्षकार जवाब देंगे। चार पक्षकारों को 45-45 मिनट मिलेंगे। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी बुधवार को ही सुनवाई हो सकती है।
अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी नजदीक आती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई का बुधवार को आखिरी दिन है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई स्पष्ट कर चुके हैं कि बुधवार को मामले की सुनवाई का 40वां और आखिरी दिन है। आज एक घंटा मुस्लिम पक्षकार जवाब देंगे। चार पक्षकारों को 45-45 मिनट मिलेंगे। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी बुधवार को ही सुनवाई हो सकती है।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष हिंदू पक्ष की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील के परासरन ने कहा, बाबर राजा नहीं, आक्रांता था। दोनों में फर्क होता है। आक्रांता को भारत के स्वर्णिम इतिहास को खत्म करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के पास ऐतिहासिक गलती सुधारने का मौका है, क्योंकि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। परासरन ने कहा, विदेशी आक्रांता भारत में आकर यह दावा नहीं कर सकता कि मैं 'बादशाह बाबर' हूं और मेरा हुक्म कानून है। ऐसा उदाहरण नहीं जब हिंदू भारत के बाहर कब्जा करने गए हों, जबकि उनके पास अति शक्तिशाली शासक थे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 39वें दिन अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने कहा है कि वर्ष 1526 में मंदिर ढहाकर मस्जिद बनाई गई थी। ऐसा करके बाबर ने खुद को सभी नियम-कानून से ऊपर रख लिया। उसके कृत्य को कानून नहीं बताया जा सकता। बाबर ने जो ऐतिहासिक भूल की उसे सुधारने की जरूरत है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के रुख से इस बात की पूरी संभावना है कि दशकों पुराने इस मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी हो सकती है और फैसला सुरक्षित रखा सकता है।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष हिंदू पक्ष की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील के परासरन ने कहा, बाबर राजा नहीं, आक्रांता था। दोनों में फर्क होता है। आक्रांता को भारत के स्वर्णिम इतिहास को खत्म करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के पास ऐतिहासिक गलती सुधारने का मौका है, क्योंकि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। परासरन ने कहा, विदेशी आक्रांता भारत में आकर यह दावा नहीं कर सकता कि मैं 'बादशाह बाबर' हूं और मेरा हुक्म कानून है। ऐसा उदाहरण नहीं जब हिंदू भारत के बाहर कब्जा करने गए हों, जबकि उनके पास अति शक्तिशाली शासक थे।
हम रामजन्म स्थान नहीं बदल सकते
अयोध्या में 55-60 मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान नहीं बदल सकते। इस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि क्या परासरन बताएंगे कि अयोध्या में कितने मंदिर हैं? परासरन ने कहा, बड़ी संख्या में मंदिर होना जन्मस्थान की महत्ता दर्शाता है। जनसंख्या का अनुपात भी देखना चाहिए। वहीं, कोर्ट ने महंत सुरेश दास की ओर से पैरवी कर रहे परासरन से सीमा के सम्मान के कानून, प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत सहित तमाम विधिक मसलों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि 2.77 एकड़ विवादित जमीन से मुस्लिमों का कब्जा कैसे हटाया जाए?
आज की सुनवाई की समयसीमा तय
सीजेआई ने बुधवार की सुनवाई के लिए समयसीमा बांधते हुए कहा, हिंदू पक्षकार की ओर से सीएस वैद्यनाथन 45 मिनट दलीलें देंगे। उसके बाद एक घंटे सुन्नी वक्फ बोर्ड को मौका मिलेगा। इसके बाद दोनों पक्षों को 45-45 मिनट मिलेगा। दोनों पक्ष तय कर लें कि कौन कितना समय लेगा। इसके बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दोनों बात रखेंगे। यानी, दोनों पक्षों ने अब तक जो गुहार लगाई है क्या उससे आगे-पीछे कुछ गुंजाइश बन सकती है?