देश में 10 महीनों (दिसंबर 2018 से सितंबर 2019) के बीच 128 नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। इसमें से करीब 60 फीसद अकेले दंडकारण्य यानी छत्तीसगढ़ में मारे गए हैं। यह स्वीकारोक्ति माओवादियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने की है। हमारे सहयोगी अखबार नई दुनिया के अनुसार, सीएमसी ने यह भी स्वीकार किया है कि दंडकारण्य के अलावा ओडिशा, आंध्र-ओडिशा सीमा और मध्य प्रदेश- महाराष्ट्र- छत्तीसगढ़ (एमएमसी) में ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। मारे गए माओवादियों में 36 महिलाएं भी शामिल हैं।
सीएमसी की तरफ से जारी बयान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव को भी स्वीकार किया गया है। पत्र में केंद्र की एनडीए सरकार की नीतियों और गृहमंत्रालय की बैठकों का भी उल्लेख करते हुए सरकार की रणनीति की चर्चा की गई है। सीएमसी की तरफ से यह बयान गोरिल्ल आर्मी (पीएलजीए) के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर जारी किया गया है। संगठन की तरफ से अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में दो से आठ दिसंबर तक स्थापना दिवस मामले का एलान भी किया गया है।
सुरक्षा बलों पर 360 हमले का दावा, 70 सीधी लड़ाइयां
उक्त दस माह के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर 360 स्थानों पर हमले का दावा किया है। इसमें 70 बार लड़ाई आमने-सामने की रही। दंडकारण्य में किए हमलों में सुरक्षाबलों के 75 जवानों की जान गई। नक्सली ने इन हमलों में 13 हथियार लूटने और 147 को घायल करने का दावा भी किया है। बयान के अनुसार बिहार के दुमका और सारंडा में लंबे समय बाद सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की बात कही गई है। इस हमले में 10 जवानों की जान गई और 32 घायल हुए थे।