मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बदलाव की शुरुआत लोकसभा चुनाव के पहले से ही दिखने लगी थी, जब अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरे. अमित शाह गुजरात के गांधीनगर सीट पर भारी अंतर से चुनाव जीते. लोगों को पहले से ही अंदाजा था कि शाह को बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है. जाहिर है उन्हें वह गृह मंत्रालय मिला जिसपर पूरे देश के लॉ-एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी होती है. यानी प्रशासनिक पकड़.
अमित शाह के गृह मंत्री बनते ही एक बात तो साफ हो गई थी कि मोदी सरकार 2.0 में कुछ बड़ा बदलाव दिखेगा. ऐसा हुआ भी, जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटा लिया गया. गृह मंत्री ने पहले से ही राज्य में सुरक्षा के मद्देनजर महत्वपूर्ण तैयारियां कर ली थी. उसके बाद सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू किया गया.
यहां खासकर हम दिल्ली की बात करेंगे जहां की पुलिस सीधे केंद्रीय गॉह मंत्री के नियंत्रण में आती है. यानी गृह मंत्री अमित शाह के हाथों में दिल्ली के सुरक्षा की कमान है. पिछले छह महीने के कार्यकाल में चार बार दिल्ली पुलिस कठघरे में आई है. सबसे पहले बात जामिया में फायरिंग कांड की.
जामिया फायरिंग कांड
गुरुवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से राजघाट तक मार्च निकाली जा रही थी. तभी दोपहर दो बजे के करीब एक नाबालिग शख्स भीड़ के बीच से निकला और 'जय श्रीराम' के नारे लगाते हुए गोली चला दी. गोली लगने से एक छात्र घायल हो गया जिसे इलाज के लिए पहले होली फैमिली अस्पताल भेजा गया बाद में उसे एम्स के लिए रेफर किया गया.
शादाब, कश्मीर का नागरिक है और दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में मास कम्युनिकेशन का छात्र है. गोली चलाने वाले का वीडियो भी वायरल हो गया है.
जामिया-मार्च में पुलिस की मौजूदगी में खुलेआम हवा में हथियार लहरा कर गोली चलाने वाले युवक ने गोली चलाने से पहले पिस्तौल को रूमाल से पकड़ा हुआ था. पीछे पुलिसकर्मी खड़े थे लेकिन वो नाबालिग शख्स को गोली चलाने से नहीं रोक सके. गोली देसी तमंचे से चलाई गई.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नाबालिग ने गोली चलाने से पहले साफ साफ चीख कर कहा, 'लो ले तुम अब आजादी' इसके बाद उसने गोली चला दी. गोली छात्रों की भीड़ की ओर पिस्तौल करके चलाई गई थी.'
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, 'गोली चलाने वाले ने 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे भी लगाए. इस घटना को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि इतने सारे पुलिस की मौजूदगी में नाबालिग बंदूक कैसे लहराता रहा और फिर गोली कैसे चला दी.
जामिया इलाके में हिंसा
नागरिकता कानून आने के बाद से देश के कई हिस्सों में लगातार प्रदर्शन जारी है. वहीं दिल्ली के जामिया इलाके में पिछले साल 15 दिसंबर को मामला तब गंभीर हो गया था जब कुछ शरारती तत्वों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर वाहनों को आग लगा दिए. इस पूरी घटना में विद्यार्थी, पुलिस और अग्निशमन कर्मी सहित करीब 60 लोग घायल हो गए थे.
आग चार सार्वजनिक बसों और पुलिस के दो वाहनों में लगाई गई थी. पुलिस ने हालांकि बाद में कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को हिरासत में लिया. लेकिन बाद में पुलिस, कार्रवाई के नाम पर जिस तरीके से जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में घुसकर लाइब्रेरी में तोड़-फोड़ की और कुछ छात्रों को पीटा उसको लेकर केंद्र सरकार की काफी फजीहत हुई.
जेएनयू के छात्रों पर नकाबपोश का हमला
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 5 जनवरी की शाम कुछ नकाबपोश कैंपस के अंदर घुसे और वहां के छात्रों पर लाठी-डंडो से हमला किया. इस हमले में JNUSU (जेएनयू स्टूडेंट यूनियन) अध्यक्ष आइशी घोष समेत 40 के करीब छात्र घायल हुए थे. इस घटना में कुछ महिला प्रोफेसर्स को भी चोटें आईं थी.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शाम करीब 6:30 बजे लगभग 50 की संख्या में नकाबपोश गुंडे जेएनयू कैंपस में में घुस और छात्रों पर हमला कर दिया. इन लोगों ने कैंपस में मौजूद कारों के शीशे तोड़ दिए और बाद में हॉस्टल को निशाने पर लेते हुए वहां भी तोड़-फोड़ की. वीडियो में कई नकाबपोश कैंपस में घूमते दिख रहे थे, जिनके हाथों में हॉकी स्टीक, रॉड और बल्ला दिखाई दे रहा था.
छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने बताया कि चेहरे पर नकाब डाले लोगों ने उनपर हमला किया. इस हमले में उनके सिर पर गहरी चोट आई थी.
पुलिस Vs वकील
दो नवंबर (शनिवार) को तीस हजारी कोर्ट में एक मामूली सी बात पर पुलिस और वकीलों के बीच भिड़ंत हो गई. मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि वकीलों मे आगजनी कर दी. बाद में पुलिस को मामला संभालने के लिए फायरिंग करनी पड़ी. दरअसल इस विवाद की शुरुआत तीस हजारी कोर्ट में एक वकील की गाड़ी पार्किंग से हुई जो बाद में हिंसक झड़प और बाद में सड़क पर खुली लड़ाई तक पहुंच गई.
भिड़ंत के दौरान दिल्ली पुलिस ने भी फायरिंग की. इस फायरिंग में दो वकील घायल हो गए. जिसके बाद वकील भड़क गए और वहां मौजूद पुलिस जीप और कई वाहनों में आग लगा दी गई.
आरोप है कि दिल्ली पुलिस की एक गोली वहां मौजूद एक वकील के सीने में लगी. जिसे बाद तीस हजारी कोर्ट के बाद दिल्ली के साकेत, कड़कड़डूमा कोर्ट में भी वकीलों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया.
जाहिर है इन सभी घटनाओं को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. जेएनयू मामले में तो अब तक दिल्ली पुलिस किसी को गिरफ्तार भी नहीं कर सका है, ऐसे में 30 जनवरी को एक नाबालिग द्वारा भीड़ पर पुलिस की मौजूदगी में गोली चलाए जाने की घटना को लेकर केंद्र सरकार निशाने पर है.
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