वर्ष 2019-2020 का इकोनॉमिक सर्वे या आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश कर दिया गया है. इस सर्वे रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम आंकड़े पेश किए गए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी.
जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर सरकार का ये अनुमान चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 0.5 से 1 फीसदी तक अधिक है. बता दें कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए एडवांस जीडीपी ग्रोथ रेट को 5 फीसदी पर रखा है. बहरहाल, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम दोपहर करीब 1.45 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आर्थिक सर्वे के बारे में विस्तार से बताएंगे.
2019 की सर्वे रिपोर्ट में क्या था?
- बीते साल सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही. वहीं अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी. साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी था जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बताया गया था. राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया.
साल 2019 के सर्वे रिपोर्ट की मुताबिक भारतीय मुद्रा के संदर्भ में रुपये के अवमूल्यन के कारण जहां 2018-19 के दौरान निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं आयात में कमी आई. हालांकि, एक साल पहले के मुकाबले विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है. साल 2017-18 में विदेशी मुद्रा भंडार 424 बिलियन डॉलर था जो 2018-19 में 412.9 बिलियन डॉलर रह गया.
- बीते साल के आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में महंगाई की दर 3.4 फीसदी तक सीमित रही. सेवा क्षेत्र (निर्माण को छोड़कर) की वृद्धि दर 2017-18 के 8.1 फीसदी से मामूली रूप से गिरकर 2018-19 में 7.5 प्रतिशत पर आ गई. रिपोर्ट के मुताबिक खाद्यान्न उत्पादन भी एक साल पहले की तुलना में कम हो गया. 2017-18 में उत्पादन 285 मिलियन टन रहा जो 2018-19 में 283.4 मिलियन टन रहने का अनुमान जताया गया.
क्या होता है आर्थिक सर्वे?
वित्त मंत्रालय की इस आधिकारिक सर्वे रिपोर्ट में देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता है. आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा. इसके अलावा सर्वे रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है कि अर्थव्यवस्था में किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं.
आसान भाषा में समझें तो वित्त मंत्रालय की इस रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है. आमतौर पर आर्थिक सर्वे के जरिए सरकार को अहम सुझाव दिए जाते हैं. हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार लागू करे, यह अनिवार्य नहीं होता है. बता दें कि देश में पहली बार आर्थिक सर्वे 1950-51 में जारी किया गया था और वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर 1957-58 से आगे के दस्तावेज भी मौजूद हैं.
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