भारत में पिछले ढाई महीने से नागरिकता कानून के विरोध में देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं. इस बीच जेनेवा में ह्यूमन राइट्स काउंसिल की बैठक में भी भारत ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष मजबूती से रखा है. सम्मेलन में हिस्सा ले रहे राज्यसभा सांसद मोबाशेर जावेद अख्तर (एमजे अकबर) ने सीएए को लेकर स्थिति स्पष्ट किया है. उन्होंने कहा कि भारत की सबसे विशेष चीज वहां की विविधता वाली संस्कृति और संविधान द्वारा दिया गया समानता का अधिकार है. वहां किसी भी पंथ से ज्यादा लोकतंत्र प्रभावी है.
एमजे अकबर ने अपने संबोधन की समाप्ति में महात्मा गांधी के हवाले से कहा, 'हिंदू और मुस्लिम सब एक हैं. सबको ईश्वर ने बनाया है और उन्हें कोई भी एक दूसरे से जुदा नहीं कर सकता.
सम्मेलन में एमजे अकबर के अलावा मुस्लिम धर्म नेता मौलाना उमर अहमद इलियासी, यूरोपीय सांसद फुल्वियो मार्तुसाइल्लो और पत्रकार आतिका अहमद फारूकी समेत कई लोग मौजूद थे.
फुल्वियो मार्तुसाइल्लो ने भारत में मौजूद भाईचारा और शांति का हवाला देते हुए कहा कि सीएए किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है. बल्कि इस कानून की वजह से कई ऐसे लोग जो धार्मिक उत्पीड़न झेलने के बाद भारत आए और नागरिक वाली सुख-सुविधा से वंचित हैं उन्हें अपना अधिकार मिल पाएगा.
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