चंबल की नहर से मप्र को मिलने वाले पानी में राजस्थान सरकार ने कटौती कर दी है। इसे लेकर राज्य सरकार ने राजस्थान सरकार के समक्ष आपत्ति की है। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी ने राजस्थान के प्रमुख सचिव (जल संसाधन) से बात कर कहा कि इस समय फसल को सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता है। इसमें कटौती न की जाए। मप्र के प्रमुख अभियंता एमएस डावर ने भी ताजा स्थिति की जानकारी रेड्डी को दी। रेड्डी ने कहा कि पानी समझौते के हिसाब से ही मिले, इसकी वे खुद समीक्षा करेंगे।
क्षेत्र में पकने की स्थिति में खड़ी गेहूं की फसल में तीसरे पानी के लिए किसान नहरों पर टकटकी लगाए बैठे हैं। चंबल दाहिनी मुख्य नहर में 3500 क्यूसेक पानी की दरकार है, लेकिन राजस्थान ने मप्र के हिस्से का पानी अपनी डिस्ट्रीब्यूटरों में मोड़ रखा है। चंबल दाहिनी मुख्य नहर में शुक्रवार को मप्र की सीमा में पार्वती एक्वाडक्ट पर पानी की मात्रा घटकर 2800 क्यूसेक रह गई। यह करार से 1100 क्यूसेक कम है। हालांकि जल संसाधन विभाग कोटा के ईई संदीप सुहिल का कहना है कि चंबल की दाहिनी नहर में जलकुंभी होने से मप्र तक कम पानी पहुंच पा रहा है।
दूसरी तरफ आवदा बांध से निकली दोनों नहरें भी बंद पड़ी हैं। आवदा कमांड क्षेत्र के किसानों पर बरसों से बकाया सिंचाई कर जमा कराने का दबाव बनाने के लिए जल संसाधन विभाग ने 15 दिनों से नहरों में क्लोजर लगा रखा है। इसके चलते श्योपुर, मुरैना और भिंड में लगभग 3 हजार करोड़ रुपए की फसलें सूखने का खतरा मंडरा रहा है।
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