पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कई बार मुंह की खाने के बाद भी वह जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को छोड़ने तक के लिए तैयार नहीं है। मंगलवार को जेनेवा में होने वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के सत्र से आखिरी समय पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी अलग हो गए। जिसके बाद माना जा रहा है कि पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजारी यूएन में बोलेंगी।
मजारी, जिन्होंने पहले यूरोपीय संघ पर कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का उल्लेख नहीं करके भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया था। माना जा रहा है कि वह वह धार्मिक उत्पीड़न के बारे में बात करने के लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे को उठाएंगे। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करता है।
भारतीय प्रतिनिधि विकास स्वरुप, सचिव (पश्चिम) यूएनएचआरसी को 26 फरवरी को संबोधित करेंगे और उम्मीद है कि वह पाकिस्तान के आरोपों का जवाब देंगे। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की तरह पाकिस्तान के पास 47 सदस्यीय यूएनएचआरसी में अपने करीबी सहयोगियों मलयेशिया और तुर्की का समर्थन नहीं है। वहीं उनका सदाबहार दोस्त चीन भी इसका सदस्य नहीं है।
पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शीरीन मजारी यूरोपीय संघ में भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई। वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय संघ के सभी मंत्रियों के साथ पिछले हफ्ते ब्रुसेल्स में अनुच्छेद 370 और सीएए पर भारत का पक्ष रखा था। हालांकि पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपना अगला कदम उठाने के लिए मार्च महीने का इंतजार कर रहा है जब चीन यूएनएससी की अध्यक्षता संभालेगा।