प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को सफल बनाने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में सरकार ने इस स्कीम की खामियों को दुरुस्त कर, किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया है.
एग्रीटेक स्टार्टअप क्रॉपइन से करार
अब सरकार की ओर से एग्रीटेक स्टार्टअप क्रॉपइन के साथ करार किया गया है. इस करार का मकसद फसल कटाई प्रयोग (CCE) प्रक्रिया को कारगर और अधिक सटीक बनाना है. दरअसल, सरकार किसानों को बिना किसी परेशानी के बीमा के पैसों का भुगतान करने के लिए CCE डाटा का प्रयोग करती है. स्टार्टअप क्रॉपइन के डिजिटल प्लेटफॉर्म सुनिश्चित करेंगे कि ये दावे और भुगतान प्रक्रिया, आंकड़ों पर आधारित और मूल रूप के अनुसार ही सटीक है.
क्रॉपइन टेक्नोलॉजी के मुख्य राजस्व अधिकारी (CRO) जीतेश शाह ने कहा, "बीते 2 साल में हमने सरकार के साथ मिल कर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में कपास, धान, मक्का और अन्य फसलों के लिए सीसीई प्रक्रिया को अनुकूल बनाने के लिए काम किया है. अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सफल बनाने के लिए सहयोग देने को तैयार हैं." हाल ही में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुख्य कार्याधिकारी आशीष भूटानी ने किसानों को भुगतान दावों के डिस्पोजल में देरी संबंधी आलोचनाओं पर सफाई दी है.
एक कार्यक्रम में भूटानी ने बताया कि यह मुख्य रूप से तीन कारणों से होता है. उन्होंने कहा, ‘‘इसका सबसे पहला कारण राज्य सब्सिडी का समय पर नहीं आना होता है. इसके अलावा बीमा कंपनियों को फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) आंकड़ों को देने में होने वाली देरी है और राज्यों के द्वारा संग्रहित सीसीई आंकड़ों पर कंपनियों द्वारा उठाए गए विवाद की वजह से भी देरी होती है.’’ भूटानी के मुताबिक इन समस्याओं के समाधान के लिए योजना में कुछ बदलाव किए गए हैं.
क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की फरवरी, 2016 में शुरुआत हुई थी. योजना के तहत किसानों को उनकी फसलों के लिए बहुत ही कम प्रीमियम पर व्यापक फसल बीमा उपलब्ध कराया जाता है. खरीफ फसलों के लिए दो फीसदी की दर पर, रबी फसलों के लिए 1.5 फीसदी और बागवानी- नकदी फसलों के लिए 5 फीसदी की प्रीमियम दर पर बुवाई के पहले से लेकर फसल कटाई के बाद तक के लिए फसल बीमा कवच उपलब्ध कराया जाता है.
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