कर्ज लेकर बैंकों को 681 करोड़ रुपये का चूना लगाने के दो अलग-अलग मामलों में सीबीआइ ने दिल्ली की दो कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। इस संदर्भ में बैंकों ने जांच एजेंसी से शिकायत की थी।पहले मामले में सीबीआइ ने श्री बांके बिहारी एक्सपोर्ट लिमिटेड और उसके निदेशकों अमरचंद गुप्ता, शकुंतला देवी, रामलाल गुप्ता, राजकुमार गुप्ता व अन्य अज्ञात नौकरशाहों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बैंकों के कंसोर्टियम की शिकायत पर कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया है। आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने 625 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर उसने जालसाजी के जरिये कंसोर्टियम के बैंकों के साथ धोखाधड़ी की। इससे बैंकों को 604.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बैंकों के इस कंसोर्टियम में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, विजया बैंक (अब बैंक ऑफ बड़ौदा), आंध्र बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सिंडीकेट बैंक और केनरा बैंक शामिल हैं। एक सीबीआइ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में कंपनी के निदेशकों के यहां छापे भी मारे गए जिसमें कई दस्तावेज बरामद हुए हैं।दूसरे मामले में राजेश जेम्स एंड ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड, उसके प्रमोटरों और निदेशकों राजेश कुमार लूथरा, प्रवीण लूथरा, अज्ञात नौकरशाहों और अन्य लोगों के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत पर एफआइआर दर्ज की गई है।
आरोप है कि कंपनी के प्रमोटरों और निदेशकों ने 2003 से 2015 के दौरान ज्वैलरी स्टॉक और अन्य संपत्तियों को गिरवी रखकर कर्ज लिया था। लेकिन बैंक की शर्तो का उल्लंघन करके कर्ज की रकम हड़प ली गई। इस वजह से बैंक को 77.51 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बैंक ने इसे 29 सितंबर, 2015 को गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया था। सीबीआइ ने बताया कि इस मामले में भी आरोपितों के दिल्ली स्थित तीन परिसरों की तलाशी ली गई है।
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