दुनिया के तमाम देशों पर अगर आप नजर डालें तो पाएंगे कि जिन देशों में तापमान बहुत नीचे रहा, वहां कोरोना का कहर काफी ज्यादा रहा बल्कि गरीब होने के बावजूद गरम मौसम वाले देशों पर कोरोना के वायरस की मार कम रही. अगर कोरोना पर वाकई गरमी का ऐसा असर होता है तो अप्रैल का महीना भारत के लिए अच्छा हो सकता है.
अबकी बार मार्च में 120 साल का रिकॉर्ड टूट गया. ऐसी बारिश मार्च ने 120 साल में कभी देखी नहीं थी. बार-बार की बारिश पश्चिमी विक्षोभ के कारण है लेकिन अगले 24 घंटे में ये आगे निकलेगा और ठंड पीछे रह जाएगी. 21 दिन के लॉकडाउन से जब हिंदुस्तान बाहर निकलेगा तो पारा चढ़ा होगा क्योंकि 4 अप्रैल तक ही दिल्ली समेत पश्चिमी भारत में तापमान 40 डिग्री के आसपास पहुंच जाएगा.
कुछ रिसर्च और कुछ डॉक्टर जो बता रहे हैं, उसके हिसाब से तो गरमी का बढ़ना कोरोना के वायरस को खात्मे में काम आएगा. अगर हम दुनिया के तमाम देशों में कोरोना का हिसाब देखें तो जहां तापमान बढ़ा है, वहां कोरोना का कहर कम है.
- सूडान में औसत तापमान 52 डिग्री है. वहां कोरोना के 3 मामले आए और मौत एक हुई है.
- ओमान में तापमान 50 डिग्री के करीब होता है और वहां कोरोना के मामले 109 आए लेकिन मौत किसी की नहीं हुई.
- इराक में औसत पारा 48 डिग्री के करीब होता है. वहां कोरोना के 382 मामले निकले और मौत 36 हुई.
- सऊदी अरब में औसत तापमान 50 डिग्री के करीब होता है जहां कोरोना के 1012 मामले आए और मौत तीन की हुई.
- मलेशिया में औसत तापमान तीस डिग्री के करीब होता है जहां कोरोना के मामले आए 2031 और मौत 24 हुई.
अब जिन देशों में कोरोना ने तांडव मचाया, उन देशों में ठंड का हाल देख लीजिए...
- इटली में तापमान 14 डिग्री सेल्सियस है जहां कोरोना के 80 हजार 500 से ज्यादा मामले आए और मौत हो चुकी है 8215
- स्पेन में पारा 4 डिग्री पर लुढका है जहां मामले आए 57 हजार 800 और मौत हो चुकी है 4365
- फ्रांस में पारा 8 डिग्री पर है जहां मामले आए 29 हजार 500 से ज्यादा और मौत हुई 1696
- ईरान में पारा 15 डिग्री है जहां मामले आए 29 हजार से ज्यादा और मौत 2234
- अमेरिका में तापमान 12 डिग्री जहां मामले आए करीब 86 हजार और मौत हो चुकी है 1302
- चीन में पारा है 13 डिग्री जहां मामले आए करीब 82 हजार और मौत हुई 3174
इधर हिंदुस्तान में देखें तो अभी औसत पारा 28 डिग्री के करीब है जो सामान्य से एक डिग्री कम है. भारत में आबादी के लिहाज से कोरोना का कहर बहुत हद तक नियंत्रित है. सरकार की कोशिश इसको पूरी तरह रोकने की है. मौसम से कोरोना के संबंधों पर अभी और भी शोध जारी है. उनसे पता चलेगा कि ये महज इत्तफाक है या कोई सीधा नाता.