आम तौर पर डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स काउंट कम होते थे, लेकिन अब कोरोना भी डेंगू के वेश में मरीजों पर वार कर रहा है। इसमें अचानक मरीज की प्लेटलेट्स काउंट गिरकर 20 हजार से भी नीचे आ जा रही है। जबकि जांच में डेंगू नहीं निकल रहा है। ऐसे मरीज ज्यादातर कोरोना की गंभीर अवस्था में पहुंचने के बाद मिल रहे हैं। पीजीआई में डॉक्टरों ने इस पर शोध भी शुरू कर दिया है। पीजीआई के प्रफेसर अनुपम वर्मा ने बताया कि अचानक मरीजों में प्लेटलेट्स काउंट गिरने से मैनेज करना मुश्किल हो रहा है। पीजीआई में एडमिट लोकबंधु अस्पताल के डॉक्टर की प्लेटलेट्स भर्ती होने के दूसरे दिन ही दस हजार पहुंच गई। प्राथमिक तौर पर यह सामने आ रहा है कि कोरोना मरीज के इम्यून कॉम्प्लेक्स को प्रभावित करता है, जिसमें मोनोसाइड और मैकरोफेज सेल पर अटैक होता। इससे बॉडी में प्लेटलेट्स की खपत बढ़ जाती है। जबकि उनका उत्पादन पहले के मुकाबले कम रहता है। यही कारण है कि प्लेटलेट्स काउंट अचानक से गिर जाता है। ऐसे मरीज ज्यादातर गंभीर अवस्था के होते हैं। इन्हें प्लेटलेट्स चढ़ाया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर प्लाज्मा थेरेपी भी दी जा रही है।
बोन मैरो को इंफेक्ट कर रहा कोरोना
डॉ़ अनुपम ने बताया कि एक बदलाव इन दिनों देखने में आया है कि कोरोना मरीजों को थॉम्बोसिस हो रहा था, जिसमें खून के थक्के जम जाते थे। इसमें टीपीए इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे क्लॉट घुल जाते हैं। लेकिन कुछ मरीजों को टीपीए देने पर उनकी नसें फट जा रही हैं, जिससे अंदरूनी रक्त रिसाव हो जाता है। इसे सीवियर थोंबोसाइटोपीनिया कहते हैं। इसमें देखने में आया है कि कोविड-19 के मरीज के बोन मैरो को इंफेक्ट कर रहा है, जिससे यह दिक्कत सामने आ रही है।
डेंगू की जांच बहुत जरूरी
डॉ़क्टर अनुपम ने बताया कि आज के हालात में कोरोना मरीजों की डेंगू की जांच बहुत जरूरी है। खासकर ऐसे मरीज जिनका प्लेटलेट्स काउंट गिर रहा हो। इससे पता चल सकेगा कि इसका कारण कोरोना है या डेंगू। इस पर शोध भी किया जा रहा है।