सहारा हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सक डॉ0 गौतम स्वरूप ने एक 73 वर्षीय महिला जिसके हृदय की तीनों कोरोनरी आर्टी 90 प्रतिशत बन्द थी एवं साथ में उसकी हार्ट की पम्पिंग क्षमता केवल 30 प्रतिशत थी, उसकी चुनौतीपूर्ण एंजियोप्लास्टी एक मेकैनिकल हार्ट पम्प जिसको इम्पला’ कहत हैं, सफलतापूर्वक की है। यह उत्तर प्रदेश के किसी भी अस्पताल का पहला चुनौतीपूर्ण केस है। . -डॉ गौतम स्वरूप ने बताया कि 73 वर्षीय महिला जो कि कुशीनगर की रहने वाली थी और जो पहले से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर एवं किडनी की मरीज थी उनको हृदय की दवाइयां लेने के बावजूद थोड़ा भी चलने पर सीने में दर्द हो जाता था
एवं सांस फूलने लगती थी। इसके लिए उन्होंने बहुत सारे चिकित्सकों से संपर्क किया। बाद में पता चला कि उनकी हृदय का पम्प भी कमजोर हो गया हैं, जो सिर्फ 30% ही रह गया है। समस्या बढ़ने के साथ उन्होंने सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टर गौतम स्वरूप से संपर्क किया तो उन्होंने एंजियोग्राफी की सलाह दी। एंजियोग्राफी के उपरांत डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे की इस तरीके की नसों में बायपास सर्जरी बेहतर विकल्प है, परंतु अधिक उम्र एवं कमजार हृदय की वजह से मरीज ने बायपास सर्जरी कराने से मना कर दिया। अब केवल एंजियोप्लास्टी से उपचार एकमात्र विकल्प था इस प्रकार के मरीजों की एंजियोप्लास्टी जिसमें हृदय कमजोर होता है बहुत ही । हाई रिस्क एंजियोप्लास्टी होती है। चिकित्सा विज्ञान की नई तकनीक जिसको इम्पेला हार्ट पम्प कहते हैं, डॉ गौतम स्वरूप ने उसको लगाकर सफलतापूर्वक इस एंजियोप्लास्टी को अंजाम दिया। इम्पेला एक प्रकार का वाह हृदय पंप है जो कि दुनिया का सबसे छोटा हृदय पंप है, एंजियोप्लास्टी से पहले इसको हृदय के मेन पंपिंग चेंबर जिसको लेफ्ट वेंट्रिकल कहते हैं, उसमें इसको इंप्लांट कर दिया जाता है, जिससे यह हृदय की पम्प करने की क्षमता को 25 – 5 लीटर तक बढ़ा देता है। जिससे एंजियोप्लास्टी करने के दौरान हृदय को मजबूती मिल जाती है और जटिल से जटिल एंजियोप्लास्टी भी आसानी से की जा सकती है सफल प्रक्रिया के बाद डॉक्टर इसको बाहर निकाल लेते हैं। इम्पेला हार्ट पम्प ऐसे मरीजों के लिए भी वरदान है जिनका हृदय अचानक आने वाले हार्ट अटैक (कार्डियोजेनिक शॉक) से कमजोर हो जाता है एवं हृदय के कम खून फेंकने से लोगों की मृत्यु हो जाती है। इम्पेला हार्ट पम्प ऐसे मरीजों की पंपिंग क्षमता को बढ़ाकर हृदय को रिकवर करने और सुरक्षित एंजियोप्लास्टी करने में मदद करता है। डॉ गौतम स्वरूप ने बताया कि उक्त महिला की कोरोनरी आर्टरी बहुत ही सख्त थी उसमें कैल्शियम जमा होने से उसमें रोटेशनल एथरेक्टोमी करके इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी की गई | कैल्शियम हटने के बाद उसमें स्टंट डाला गया है। इस प्रकार केवल एक से 1 से 1.5 घंटे में यह ऐतिहासिक एंजियोप्लास्टी पूरी कर ली गयी।
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